कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र-पुरुष

 कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र-पुरुष


अन्य सम्बन्धित शीर्षक कम्प्यूटर की उपयोगिता ,

 कम्प्यूटर एवं उसका महत्त्व,

भारत में कम्प्यूटर का प्रयोग। ""प्रगति के इस दौर में कम्प्यूटर एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है। कम्प्यूटर का आविष्कार मानव बुद्धि की कुशाता का परिणाम है। जाहिर है कि इसकी कार्यकुशलता हमारे हाथों में ही है।"






रूपरेखा – 

1) प्रस्तावना, 

2) कम्प्यूटर क्या है?

 3) कम्प्यूटर और उसके उपयोग 

(क) बैंकिंग के क्षेत्र में,

(ख) प्रकाशन के क्षेत्र में, 

(ग) सूचना और समाचार प्रेषण के क्षेत्र में, 

(घ) डिजाइनिंग के क्षेत्र में,

 (ङ) कला के क्षेत्र में,

 (च) वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में, 

(छ) औद्योगिक क्षेत्र में, 

(ज) युद्ध के क्षेत्र में,

 (झ) अन्य क्षेत्रों में,

 4) कम्प्यूटर और मानव मस्तिष्क, 

(5) उपसंहार ।


प्रस्तावना—गत कई वर्षों से हमारे देश में कम्प्यूटरों की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। देश को कम्प्यूटरमय करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई उद्योग-धन्धों और संस्थानों में कम्प्यूटर का प्रयोग होने लगा है। कम्प्यूटरों के उन्मुक्त आयात के लिए देश के द्वार खोल दिए गए हैं। हमारे अधिकारी और मन्त्रिगण सुपर कम्प्यूटरों के लिए अमेरिका से जापान तक दौड़ लगा रहे हैं। सरकारी प्रतिष्ठानों में तो आधुनिकतम कम्प्यूटर लगाने की भारी होड़ लगी है। कम्प्यूटर क्या है?— हमारे सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन पर छा जानेवाला कम्प्यूटर आखिर क्या है? इस विषय में जिज्ञासा उत्पन्न होना स्वाभाविक है। वस्तुतः कम्प्यूटर ऐसे यान्त्रिक मस्तिष्कों का समन्वयात्मक एवं गुणात्मक योग है, जो तीव्रतम गति से तथा न्यूनतम समय में त्रुटिहीन गणना कर सकता है।

मानव सदैव से ही अपनी गणितीय गणनाओं के लिए गणना-यन्त्रों का प्रयोग करता रहा है। इस कार्य के लिए प्रयोग की जानेवाली प्राचीन मशीनों में अबेकस (Abacus) पहला साधन था। वर्तमान समय में तो अनेक प्रकार के जटिल गणना-यन्त्र बना लिए गए हैं, जो जटिल से जटिल गणनाओं के परिकलन (Calculation) स्वत: हो करलेते हैं। इन सबमें सर्वाधिक तीव्र, शुद्ध एवं उपयोगी गणना करनेवाला यन्त्र कम्प्यूटर ही है।


चार्ल्स बेबेज (Charles Babbage) पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने १९वीं शताब्दी के आरम्भ में पहला कम्प्यूटर बनाया। यह कम्प्यूटर लम्बी-लम्बी गणनाएँ कर उनके परिणामों को मुद्रित कर देता था। कम्प्यूटर स्वयं ही गणनाएँ करके जटिल से जटिल समस्याओं के इस मिनटों और सेकण्डों में निकाल सकता है, जिन समस्याओं का हल करने के लिए मनुष्य को कई दिन, यहाँ तक कि महीनों लग सकते हैं। कम्प्यूटर से की आनेवाली गणनाओं के लिए एक विशेष भाषा में निर्देश तैयार किए जाते हैं। इन निर्देशों और सूचनाओं को कम्प्यूटर का 'प्रोग्राम' कहा जाता है। यदि कम्प्यूटर से प्राप्त होनेवाले परिणाम अशुद्ध है तो इसका तात्पर्य यह है कि उसके प्रोग्राम में कहीं-न-कहीं त्रुटि रह गई है, इसमें यन्त्र का कोई दोष नहीं है।

कम्प्यूटर का केन्द्रीय मस्तिष्क अपने सारे काम संकेतों पर आधारित गणितीय भाषा में ही करता है। अक्षरों या

शब्दों को भी संकेतों पर आधारित इस मशीनी भाषा में बदला जा सकता है। इसी तरह अब शब्दों या पाठों को, यहाँ तक कि पूरी पुस्तकों और फाइलों को भी कम्प्यूटर के स्मृति-भण्डार (मेमोरी) में सुरक्षित रखा जा सकता है। कम्प्यूटर के स्मृति भण्डार में संचित सामग्री को कभी भी इच्छानुसार छापा जा सकता है। कम्प्यूटर और उसके उपयोग- आज जीवन के कितने ही क्षेत्रों में कम्प्यूटर के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। बड़े-बड़े व्यवसाय, तकनीकी संस्थान और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान कम्प्यूटर के यन्त्र-मस्तिष्क का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।


अब तो कम्प्यूटर केवल कार्यालयों के वातानुकूलित कक्षों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, वरन् वह हजारों किलोमीटर दूर रखे हुए दूसरे कम्प्यूटर के साथ बातचीत कर सकते हैं, उससे सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं और उसे सूचनाएँ भेज भी सकते हैं।

कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहा है, उनका विवरण इस प्रकार है-

 (क) बैंकिंग के क्षेत्र में भारतीय बैंकों में खातों के संचालन और हिसाब-किताब रखने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाने लगा है। कई राष्ट्रीयकृत बैंकों ने चुम्बकीय संख्याओं वाली नई चैक बुक जारी की है। यूरोप के कई देशों सहित अपने देश में भी ऐसी व्यवस्थाएँ अस्तित्व में आ गई है कि घर के निजी कंम्प्यूटर को बैंकों के कम्प्यूटरों के साथ जोड़कर घर बैठे ही लेन-देन का व्यवहार किया जा सकता है। 


(ख) प्रकाशन के क्षेत्र में समाचार-पत्र और पुस्तकों के प्रकाशन के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर विशेष योग दे रहे तो कम्प्यूटर टंकित होनेवाली सामग्री को कम्प्यूटर के परदे (स्क्रीन पर देखकर उसमें संशोधन भी किया जा सकता है। कम्प्यूटर में संचित होने के बाद सम्पूर्ण सामग्री एक छोटी चुम्बकीय डिस्क पर अंकित हो जाती है। इससे कभी भी टंकित सामग्री को प्रिंटर की सहायता से मुद्रित किया जा सकता है। उस दिन की कल्पना सरलता से की जा सकती है, जब समाचार-पत्रों के सम्पादकीय विभाग में एक ओर कम्प्यूटरों में मैटर भरे जाएंगे तो दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक प्रिण्टर तेज रफ्तार से मुद्रित सामग्री तैयार कर देगे।

(ग) सूचना और समाचार प्रेषण के क्षेत्र में दूरसंचार की दृष्टि से कम्प्यूटर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अब तो 'कम्प्यूटर नेटवर्क' के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक-दूसरे से जोड़ने की व्यवस्था भी की जा रही


(घ) डिजाइनिंग के क्षेत्र में प्राय: यह समझा जाता है कि कम्प्यूटर अंकों और अक्षरों को ही प्रकट कर सकते हैं। वस्तुतः आधुनिक कम्प्यूटर के माध्यम से भवनों, मोटरगाड़ियों एवं हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने के लिए भी 'कम्प्यूटर ग्राफिक' के व्यापक प्रयोग हो रहे हैं। वास्तुशिल्पी अपनी डिजाइन कम्प्यूटर के स्क्रीन पर तैयार करते हैं और संलग्न प्रिण्टर से इनके प्रिण्ट भी तुरन्त प्राप्त कर लेते हैं। 


(ङ) कला के क्षेत्र में कम्प्यूटर अब कलाकार अथवा चित्रकार की भूमिका भी निभा रहे है। अब कलाकार को न तो कैनवास की आवश्यकता है, न रंग और कूचियों की कम्प्यूटर के सामने बैठा हुआ कलाकार अपने 'नियोजित प्रोग्राम' के अनुसार स्क्रीन पर चित्र निर्मित करता है और यह चित्र प्रिण्ट को 'कुंजी' दबाते हो प्रिण्टर द्वारा कागज पर अपने उन्हीं वास्तविक रंगों के साथ छाप दिया जाता है।


(च) वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में कम्प्यूटरों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसन्धान का स्वरूप ही बदलता जा रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने क्रान्ति हो उत्पन्न कर दी है। इनके माध्यम से अन्तरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे है और इन चित्रों का विश्लेषण कम्प्यूटरों के माध्यम से हो रहा है। आधुनिक वेधशालाओं के लिए कम्प्यूटर सर्वाधिक आवश्यक हो गए है।


(छ) औद्योगिक क्षेत्र में- -बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों के संचालन का कार्य अब कम्प्यूटर संभाल रहे हैं। कम्प्यूटरों से जुड़कर रोबोट ऐसी मशीनों का नियन्त्रण कर रहे हैं, जिनका संचालन मानव के लिए अत्यधिक था। भयंकर शीत और जला देनेवाली गर्मी का भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।


(ज) युद्ध के क्षेत्र में – वस्तुत: कम्प्यूटर का आविष्कार युद्ध के एक साधन के रूप में ही हुआ था। अमेरिका में जो पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर बना था, उसका उपयोग अणुबम से सम्बन्धित गणनाओं के लिए ही हुआ था।


जर्मन सेना के गुप्त सन्देशों को जानने के लिए अंग्रेजों ने 'कोलोसम' नामक कम्प्यूटर का प्रयोग किया था। आज भी नवीन तकनीकों पर आधारित शक्तिशाली कम्प्यूटरों का विकास किया जा रहा है। अमेरिका की 'स्टार वार्स' योजना कम्प्यूटरों के नियन्त्रण पर ही आधारित है।


(झ) अन्य क्षेत्रों में सम्भवत: जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें कम्प्यूटर का प्रयोग न हो रहा हो

अथवा न हो सकता हो। कम्प्यूटरों के माध्यम से संगीत का स्वकित किया जा रहा है तथा वायुयान एवं रेलयात्रा के आरक्षण की व्यवस्था हो रही है। कम्प्यूटर में समित विवरण के आधार पर विवाहसम्बन्ध जोड़नेवाले अनेक संगठन हमारे देश में कार्यरत है, यहाँ तक कि 'कम्प्यूटर ज्योतिष का भी आरम्भ हो गया है। इसके साथ ही परीक्षाफल के निर्माण, अन्तरिक्ष यात्रा सम्बन्धी जानकारी, चिकित्सा क्षेत्र, चुनाव कार्य आदि में भी कम्प्यूटर प्रणाली सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हो रही है। कम्प्यूटर की सहायता से एक भाषा का अनुवाद दूसरी भाषा में किया जा सकता है तथा शतरंज खेली है।

कम्प्यूटर और मानव मस्तिष्क यह भी है कि क्या कम्प्यूटर और मानव मस्तिष्क की तुलना की जा सकती है और इनमें कोन है। क्योंकि कम्प्यूटर के का निर्माण भी मानव बुद्धि के आधार पर ही सम्भव हुआ है। यह बात नितान्त सत्यको अपेक्षा कम्प्यूटर समस्याओं को बहुत कम समय में हल कर सकता है; किन्तु वह मानी और वित से रहित मात्र एक


यन्त्र - पुरुष है। कम्प्यूटर केवल यही काम कर सकता है जिसके लिए उसे निर्देशित (programmed) किया गया


हो। वह कोई निर्णय स्वयं नहीं ले सकता और न ही कोई न तोच सकता है।


उपसंहार 

भारत जिस गति से कम्प्यूटर युग की ओर बढ़ रहा है, उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपने आपको सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटर के हवाले करने के लिए विवश किए जा रहे है। कम्प्यूटर हमे बोलना, व्यवहार करना, अपने जीवन को जीना, मित्रों से मिलना और उनके विषय में ज्ञान प्राप्त करना आदि सबकुछ सिखाएगा। इसका अभिप्राय यह हुआ कि हम जीवन के प्रत्येक मोड़ पर कम्प्यूटर पर ही आश्रित हो जाएँगे। यह सही है कि कम्प्यूटर में जो | कुछ भी एकत्र किया गया है, वह आज के असाधारण बुद्धिों की देन है, लेकिन हम यह प्रश्न भी पूछने के लिए विवश है कि जो बुद्धि या जो स्मरण शक्ति कम्प्यूटरों को दी गई है, क्या उससे पृथक हमारा कोई अस्तित्व नहीं है? हो भी, तो क्या यह बात अपने आप में कुछ कम दुःखदायी नहीं है कि हम अपने प्रत्येक मावी कदम को कम्प्यूटर के माध्यम से प्रमाणित करना चाहे और उसके परिणामस्वरूप अपने-आपको निरन्तर कमजोर, हीन एवं अयोग्य बनाते रहे।






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