विज्ञान वरदान या अभिशाप
विज्ञान वरदान या अभिशाप
अन्य सम्बन्धित शीर्षक विज्ञान का सदुपयोग, विज्ञान के लाभ और हानियाँ, विज्ञान और मानव-कल्याण, विज्ञान के वरदान विज्ञान वरदान भी, अभिशाप भी, वरदान या अभिशाप
रूपरेखा -
प्रस्तावना, विज्ञान वरदान के रूप में—
परिवहन के क्षेत्र में,
संचार के क्षेत्र में,
चिकित्सा के क्षेत्र में,
खाद्यान्न के क्षेत्र में,
उद्योगों के क्षेत्र में,
दैनिक जीवन में, विज्ञान एक अभिशाप के रूप में,
विज्ञान वरदान या अभिशाप
उपसंहार।
प्रस्तावना -
यद्यपि इस पृथ्वी पर मनुष्य को उत्पन्न हुए लाखों वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, किन्तु वास्तविक वैज्ञानिक उन्नति पिछले दो-सौ वर्षों में ही हुई है। साहित्य में विमानों और दिव्यास्त्रों के कवित्वमय उल्लेख के अतिरिक्त कोई ऐसे प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, जिनके आधार पर यह सिद्ध हो सके कि प्राचीनकाल में इस प्रकार की वैज्ञानिक उन्नति हुई थी। एक समय था, जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कौतूहलपूर्ण व आश्चर्यजनक समझता था तथा उनसे भयभीत होकर ईश्वर की प्रार्थना करता था, किन्तु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके उसे मानव को दासी बना दिया है। आधुनिक युग में विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने विश्व में क्रान्ति-सी उत्पन्न कर दी है। विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतन्त्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर निरन्तर विजय प्राप्त करता जा रहा है। आज से कुछ वर्ष पूर्व विज्ञान के आविष्कारों की चर्चा से ही लोग आश्चर्यचकित हो जाया करते थे; परन्तु आज वही आविष्कार मनुष्य के जीवन में पूर्णतया घुल-मिल गए हैं। विज्ञान ने हमें अनेक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं; किन्तु साथ ही विनाश के विविध साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति में यह प्रश्न विचारणीय हो गया है कि विज्ञान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप? विज्ञान : वरदान के रूप में आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन के चिराग का दैत्य जो काम करता था, उन्हें विज्ञान बड़ी सरलता से कर देता है। रातो-रात महल बनाकर खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बरबाद कर देना आदि विज्ञान के द्वारा सम्भव किए गए ऐसे ही कार्य हैं। विज्ञान मानव-जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। उसकी वरदायिनी शक्ति ने मानव को अपरिमित सुख-समृद्धि प्रदान की है|
मनोरंजन के क्षेत्र में मनोरंजन के आधुनिक साधन विज्ञान की ही देन है। सिनेमा, रेडियो तथा टेलीविजन के आविष्कार ने मानत को उसकोटि के सरल एवं सुलभ मनोरंजन के साधन प्रदान कर दिए हैं।
दैनिक जीवन में हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही निर्भर हो गया है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है। बिजली के पंखे, प्रेस, कुकिंग गैस स्टोव, फ्रिज, सिलाई मशीन आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन दिया है। इन आविष्कारों से समय, शक्ति व पन की पर्याप्त बचत हुई है।
उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र में विज्ञान ने हान्तिकारी परिवर्तन किए हैं। भाँति-भाँति की मशीनों ने उत्पादन को बढ़ाया है। विभिन्न प्रकार के वस्त्र, खाद्य पदार्थ एवं दैनिक उपभोग की वस्तुओं के उत्पादन हेतु विज्ञान ने सरलतम साधनों का आविष्कार किया है। हमारे देश में अनेक छोटे-बड़े कल-कारखानों का संचालन हो रहा है। इस प्रकार विज्ञान ने उद्योगों को प्रगति की ओर अग्रसर कर दिया है।
परमाणु-शक्ति के क्षेत्र में आधुनिक युग को परमाणु-युग कहा जाता है। जब वैज्ञानिक उपकरणों का विकास नहीं हुआ था तो मनुष्य को छोटे-से-छोटा कार्य करने में भी कठिनाई का अनुभव होता था। आज अणुशक्ति द्वारा कृत्रिम बादलों के माध्यम से वर्षा भी की जा सकती है। अणुशक्ति द्वारा मानव कल्याण सम्बन्धी अनेक कार्य किए जा रहे हैं। शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए अणुशक्ति का विकास किया जा रहा है। इस शक्ति के माध्यम से पृथ्वी और समुद्र से मूल्यवान् गैस व खनिज प्राप्त किए जा रहे हैं।
विज्ञान के चमत्कारों से लाभ एवं हानि-विज्ञान ने मानव को वरदायिनी शक्तियाँ प्रदान की है तथा मानव के कठिन जीवन को सरल बना दिया है। उसने मनुष्य को प्रत्येक क्षेत्र में सुविधाएँ उपलब्ध कराई है तथा उसे बाढ़, अकाल और महामारी से बचाया है। इसके अतिरिक्त मनुष्य को नीरोग बनाने में सहायता करके उसे दीर्घायु बनाया है, रहन-सहन सम्बन्धी सुविधाएँ प्रदान करके उसके जीवन को सुखमय किया है तथा अपराधों को कम करने में भी सहायता की है। अब तो लाई डिटेक्टर' मशीन की सहायता से व्यक्ति के अपराध का पता लगाना और भी अधिक सरल हो गया है। दात से व्यक्ति के अप जहाँ विज्ञान ने मनुष्य को अनेक दृष्टियों से लाभान्वित किया है, वहीं उसे भयंकर हानियाँ भी पहुँचाई हैं। वैज्ञानिक उपकरणों ने मनुष्य को कामचोर बना दिया है। यन्त्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेकारी को जन्म दिया है। नवीन प्रयोगों ने वातावरण को दूषित कर दिया है। परमाणु परीक्षणों ने मानव को भयाक्रान्त कर दिया है। जापान के नागासाको और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन है। मनुष्य अपनी पुरानी परम्पराएँ और आस्थाएँ भूलकर भौतिकवादी होता जा रहा है। वह स्वार्थी हो रहा है तथा उसमें विश्वबन्धुत्व की भावना लुप्त हो रही है। वैज्ञानिक आविष्कारों को निरन्तर स्पर्द्धा आज विश्व को खतरनाक मोड़ पर ले जा रही है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम निःसन्देह विश्व शान्ति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी क्षण सम्पूर्ण विश्व और उसकी संस्कृति पलभर में हो सकती है।
विज्ञान और मनुष्य का सम्बन्ध - मानव और विज्ञान का परस्पर अटूट सम्बन्ध है। आज का मानव वैज्ञानिक मानव बन गया है। विज्ञान की शक्ति पाकर मानव बर्बर होता जा रहा है। अब मानव के साधारण व्यवहार से लेकर उसका विशिष्ट व्यवहार तक विज्ञान पर आश्रित है। आज मानव के विवेक को जाग्रत करने की आवश्यकता है, जिससे वह विज्ञान का वरदानी रूप ग्रहण कर सके, अभिशप्त रूप नहीं। उपसंहार - वास्तव में विज्ञान मानव के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। हमारा जीवन विज्ञान का ऋणी है। विज्ञान के आविष्कारों से धरती को स्वर्ग बनाया जा सकता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हम वैज्ञानिक चमत्कारों के ऋणी है। सत्य तो यह है कि विज्ञान स्वयं में एक चमत्कार है।
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