दूर संचार में क्रान्ति

 दूर संचार में क्रान्ति


अन्य सम्बन्धित शीर्षक दूर-संचार की उपयोगिता, भारत में दूरसंचार।


रूपरेखा -

1. प्रस्तावना, 

2 .दूरसंचार का मानव जीवन में महत्त्व, 

3. उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में दूर-संचार का योगदान, 

4. भारत में दूरसंचार का विकास, 

5. प्राथमिक सेवा, 

6. सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा,

 7.इण्टरनेट सेवा, 

8. उपसंहार ।




प्रस्तावना — दूर-संचार के क्षेत्र में उन्नति से मानवजीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह सर्वविदित है कि आज हम 'सम्पर्क' युग में रह रहे हैं। दूर-संचार के विकास ने मानवजीवन के प्रत्येक क्षेत्र को अपने दायरे में ले लिया है। प्राचीनकाल में संदेशों के आदान-प्रदान में बहुत अधिक समय तथा धन लग जाया करता था, परन्तु आज समय और धन दोनों की बड़े पैमाने पर बचत हुई है। दूर-संचार के क्षेत्र में नई तकनीकी से अब टेलीफोन, सेल्यूलर फोन, फैक्स और ई-मेल द्वारा क्षणभर में ही किसी भी प्रकार के संदेश एवं विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। आज चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों से सम्प्रेषित संदेश पृथ्वी पर पलभर में ही प्राप्त किए जा सकते हैं। दूरसंचार ने पृथ्वी और आकाश की सम्पूर्ण दूरी को समेट लिया है।


दूर-संचार का मानव जीवन में महत्त्व मानव जीवन को मुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में दूरसंचार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में समय की दूरी घट गई है। अब क्षणभर में संदेश व विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन तथा उद्योग आदि के क्षेत्र में दूरसंचार का महत्त्व बढ़ गया है। अपराधों पर नियन्त्रण करने तथा शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने में दूरसंचार का विशेष योगदान है। दूरसंचार के अभाव में देश में शान्ति और सुव्यवस्था करना कठिन कार्य है। व्यावसायिक क्षेत्र में भी सही समय पर सही सूचनाओं का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है अतः कहा जा सकता है कि किसी भी राष्ट्र के लिए वहाँ की दूरसंचार व्यवस्था का विकसित होना अति आवश्यक है।


उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में दूर-संचार का योगदान — किसी भी देश का विकास उसको सुदृढ़ अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाता है, लेकिन सफल व्यवसाय और उद्योगों के विकास के लिए दूर-संचार की अत्यधिक आवश्यकता होती है। भूमण्डलीकरण के इस काल में तो व्यवसायी एवं उद्योगपति सूचनाओं के माध्यम में व्यवसाय एवं उद्योग में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए लालायित हैं। सूचनाएँ व्यवसाय का जीवन-रक्त है। व्यवसाय के अन्तर्गत माल के उत्पादन से पूर्व, उत्पादन से वितरण तक और विक्रयोपरान्त सेवाएँ प्रदान करने के लिए दूरसंचार का महत्त्वपूर्ण स्थान है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास परिषद् की रिपोर्ट के अनुसार दूर-संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विदेशी निवेश प्राप्त करने के मामले में भारत अग्रणी देश बनता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 में दक्षिण एशिया में हुए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत का हिस्सा 76 प्रतिशत था। चीन में भारत से ज्यादा मोबाइल फोन हैं, लेकिन इण्टरनेट के क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों का लाभ उठाने के लिए भारत का माहौल चीन से कहीं बेहतर है, दूरसंचार में क्रान्ति ने आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की नई सम्भावना को जन्म दिया है, जिसका लाभ विकसित और विकासशील देश दोनों ही उठा रहे हैं।


भारत में दूर संचार का विकास-भारत ने दूर संचार के क्षेत्र में असीमित उन्नति की है। भारत का दूर- दूरसंचार नेटवर्क एशिया के विशालतम दूरसंचार नेटवर्कों में गिना जाता है। ३१ दिसम्बर, 2002 ई० को स्थिति के अनुसार देश में 4291 करोड़ टेलीफोन लाइने थी और 18 दिसम्बर, 2003 को 4 करोड 39 लाख 60 हजार जमीनी टेलीफोन कनेक्शन थे। लगभग सभी देशों के लिए इण्टरनेशनल सबस्क्राइबर डायलिंग सेवा उपलब्ध है। देश में 18 दिसम्बर, 2003 तक सेल्यूलर फोनों की संख्या 4 करोड 45 लाख 10 हजार थी। पी०सी०ओ० की संख्या 174 लाख, ग्रामीण डायरेक्ट एक्सचेंज लाइनों की संख्या 76.1 लाख और इण्टरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 3 करोड 2 लाख है। अन्तर्राष्ट्रीय संचार क्षेत्र में उपग्रह संचार और जल के नीचे से स्थापित संचार सम्बन्धों द्वारा अपार प्रगति हुई है। ध्वनि वाली और ध्वनि-रहित दूरसंचार सेवाएँ, जिनमें आँकड़ा प्रेषण, फैसीपाइल, मोबाइल रेडियो, रेडियो पेनिंग और लीज्ड लाइन सेवाएँ शामिल है। देश के 707 लाख गांवों में से 45 लाख गांवों में टेलीफोन सुविधा उपलब्ध है।


ग्रामीण क्षेत्रों में जनवरी 2002 ई० तक सीधी एक्सचेंज लाइनों की संख्या 78 68 लाख हो गई है। प्राथमिक सेवा – भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की सिफारिशों के अनुरूप सरकार ने 25 जनवरी, 2002 ई० को लाइसेन्स देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिनके अनुसार नए प्राथमिक सेवा उपलब्ध कराने वाले बिना किसी प्रतिबन्ध के सभी सेवा क्षेत्रों में खुला प्रवेश कर सकते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थानीय क्षेत्रों में प्राथमिक टेलीफोन सेवा के उपभोक्ताओं के लिए वायरलेस सबस्क्राइबर एक्सेस प्रणालियों के अन्तर्गत भी हाथ वाले टेलीफोन सेट प्रयोग करने की छूट है।


वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए दूरसंचार शुल्क संरचना के युक्तीकरण के कई प्रयास किए गए हैं। सर्वप्रथम शुल्क संरचना में सुधार १ मई 1999 ई० में किया गया, जिसके अन्तर्गत लम्बी दूरी के एस० टी० डी० और आई० एस० डी० शुल्कों में कमी की गई है। इसके दूसरे चरण का क्रियान्वयन अक्टूबर 2000 ई० में किया, जिसके अन्तर्गत एस० टी० डी० और आई० एस० डी० कालों के शुल्कों में कमी की गई। जनवरी 2002 ई० मे 2०० किमी तक की दूरी तक किए जाने वाले कालों को एस० टी० डी० की अपेक्षा लोकल काल की श्रेणी में डाल दिया गया। 14 जनवरी, 2002 ई० को वी० एस० एन० एल० और एम० टी० एन० एल० के विभिन्न दूरियों के लिए एस० टी० डी० दरों को क्रमशः 37 और 62 प्रतिशत तक घटा दिया और सेल्यूलर मोबाइल फोन की शुल्क दरों में लगभग आधे की कमी कर दी गई।


सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा सभी महानगरों और चुनिंदा शहरों के 18 सर्किलों के लिए सेवाएँ शुरू हो चुकी हैं। दिसम्बर, 2003 ई० तक देश में 4 करोड़ 45 लाख 10 हजार सेल्यूलर उपभोक्ता थे। नई दूर संचार नीति के अन्तर्गत सेल्यूलर सेवा के मौजूदा लाइसेन्स धारकों को १ अगस्त, 1999 ई० से राजस्व भागीदारी प्रणाली अपनाने की अनुमति मिल गई। देश के विभिन्न भागों में सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा चलाने के लिए एम०टी० एन० एल० और वो०एस०एन०एल० को लाइसेन्स जारी किए गए। नई नीति के अनुसार सेल्यूलर ऑपरेटरों को यह छूट दी गई है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में सभी प्रकार की मोबाइल सेवा, जिसमें ध्वनि और गैर-ध्वनि संदेश शामिल है, डेटा सेवा और पी०सी०ओ० उपलब्ध करा सकते है।


सेल्यूलर मोबाइल की सेवा के विस्तार को देखते हुए बी एस एन एल के चेयरमैन बी० पी० सिन्हा ने नई दिल्ली में अगस्त 2004 को अपने निगम की नई घटी हुई दरों की घोषणा की। वर्ष 2005 में इस क्षेत्र के लिए 430000 पेशवरों को अतिरिक्त मांग को पूर्ति कर पाना भारत के लिए सम्भव नहीं हो पा रहा है। इस क्षेत्र में नौकरियों को सम्भावना बढ़ती जा रही है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2012 तक यह मांग लगातार बढ़ती हो जाएगी। सूचना प्रौद्योगिकी के कारण हो इंफोसिस तथा विप्रो के राजस्व में क्रमशः 4० प्रतिशत और 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कम्प्यूटर की भाँति अब मोबाइल सेवा पर भी वायरस के हमले देखे जा रहे हैं, जिस कारण कम्प्यूटर हैग हो


जाता है। इसमें मोबाइल का प्रत्येक बटन अवरुद्ध हो जाता है। साथ ही पूरा काल रजिस्टर हो बाधित हो जाता है। वर्ष 2005 में इस प्रकार की विचित्र समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है, जिसका अभी तक कोई उपचार सम्भव नहीं हो पाया है।


इण्टरनेट सेवा नवम्बर 1988से इण्टरनेट सेवा निजी भागीदारी के लिए खोल दी गई। अब इसके लाइसेस को पहले पाँच साल तक के लिए शुल्क मुक्त किया जा चुका है और अगले दस सालों के लिए १ रूपया प्रतिवर्ष शुल्क निर्धारित किया गया है। भारत में पंजीकृत कोई भी हासिल कर सकती है और इसके लिए पहले से भी किसी अनुभव की आवश्यकता नहीं होगी। अब तक 506 आई. एम.पी (इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर) लाइसेंस जारी किए गए है।


विश्व में 24 मार्च, 2005 तक इण्टरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या 88 करोड 86 लाख 81 हजार 131 वी,


जबकि भारत में 28 मार्च, 2005 तक 3 करोड 218 करोड अमेरिकियों


के निवास पर इण्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है। व्यावसायिक साहस को इण्टरनेट पर लांच किया जा चुका है। ई-मेल


के द्वारा मास कैम्पेन चलाना अब एक सामान्य प्रचलन हो चुका है। एक ऐसा उपलब्ध फोरम है, जिसके द्वारा


इण्टरनेटधारक एक-दूसरे के साथ आपस में ऑनलाइन वाला कर सकते है।


उपसंहार - वास्तव में दूरसंचार प्रणाली ने विश्व की दूरियों को समेटते हुए मानव जीवन को एक नया मोड़ दिया है। आज हमारा देश दूरसंचार टेक्नोलॉजी की दौड़ में निरन्तर आगे बढ़ रहा है। विभिन्न निजी कम्पनियों का भी इसमें विशेष योगदान रहा है, जिसके कारण देश के कोने-कोने से जोड़ने में सफल हुए है। इस प्रकार दूर संचार के प्रसार में शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, व्यवसाय तथा उद्योग के विकास के साथ-साथ मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति को गति प्रदान की है।

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